Free Ration Scheme के तहत मिलने वाला मुफ्त राशन अब संकट में आ गया है। प्रदेश में डिपो संचालकों ने सरकार और खाद्य आपूर्ति विभाग के रवैये से नाराज होकर 1 मई 2025 से राशन वितरण बंद करने का ऐलान कर दिया है। डिपो संचालकों ने साफ कर दिया है कि जब तक विभाग खुद पीओएस (POS) मशीनों के लिए इंटरनेट कनेक्टिविटी और नई सिम कार्ड की व्यवस्था नहीं करेगा, तब तक राशन वितरण का कार्य नहीं किया जाएगा।
डिपो संचालकों की मुख्य मांगें
क्रमांक | मांग | स्थिति |
---|---|---|
1 | POS मशीनों के लिए इंटरनेट सुविधा | अब तक विभाग द्वारा उपलब्ध नहीं कराई गई |
2 | नई सिम कार्ड की व्यवस्था | विभाग ने कोई समाधान नहीं निकाला |
3 | ₹20,000 मासिक वेतन का वादा | कांग्रेस सरकार ने अब तक पूरा नहीं किया |
4 | वन टाइम लाइसेंस सुविधा | वादे के बावजूद लंबित |
5 | मशीनों की मरम्मत और मेंटेनेंस | वर्षों से नजरअंदाज |
क्यों लिया गया यह बड़ा फैसला?
डिपो संचालकों का कहना है कि वे वर्षों से अपनी निजी इंटरनेट सेवा से विभागीय POS मशीनें चला रहे थे। लेकिन अब वे अपनी जेब से इंटरनेट खर्च वहन नहीं करेंगे। बिना इंटरनेट के मशीनें काम नहीं करेंगी, जिससे राशन वितरण पूरी तरह प्रभावित होगा।
सरकार और विभाग पर लापरवाही का आरोप
प्रदेश डिपो संचालक समिति के अध्यक्ष अशोक कवि ने बताया कि सरकार और विभाग को समय रहते चेताया गया था, लेकिन उनकी समस्याओं को गंभीरता से नहीं लिया गया। अब डिपो संचालकों ने सर्वसम्मति से राशन वितरण बंद करने का निर्णय लिया है।
Free Ration Scheme पर असर
अगर डिपो संचालकों ने 1 मई से राशन वितरण बंद कर दिया तो इसका सीधा असर गरीब और मध्यम वर्ग के उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। Free Ration Scheme के तहत मिलने वाला खाद्यान्न समय पर नहीं मिलेगा, जिससे जनता को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
डिपो संचालकों की चेतावनी
डिपो संचालकों ने कहा है कि यदि उन पर किसी प्रकार का दबाव बनाया गया तो वे उच्च न्यायालय का रुख करेंगे। समिति ने सभी डिपो संचालकों से अपील की है कि वे एकजुट होकर अपने अधिकारों की रक्षा करें और सरकार को मजबूर करें कि वह उनकी मांगों को माने।
निष्कर्ष
Free Ration Scheme के लाभार्थियों को आने वाले समय में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। सरकार और खाद्य आपूर्ति विभाग को जल्द से जल्द डिपो संचालकों की मांगों का समाधान निकालना चाहिए ताकि प्रदेश में राशन वितरण बाधित न हो और गरीब वर्ग को समय पर सहायता मिल सके।