राजस्थान में मनरेगा योजना में फर्जीवाड़े को खत्म करने के लिए राज्य सरकार ने नया मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम (एमएमएस) लागू किया है। यह सिस्टम नागौर जिले के खींवसर क्षेत्र में मनरेगा श्रमिकों के कामकाजी माहौल में पारदर्शिता बढ़ाने और भ्रष्टाचार पर नियंत्रण लगाने के लिए महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। राज्य सरकार का यह कदम, खासकर श्रमिकों और मेट के कार्य में हो रहे फर्जीवाड़े को रोकने के लिए डिजाइन किया गया है, जो पहले बड़ी समस्या बन चुका था।
इस सिस्टम के तहत अब केवल वही श्रमिक अपनी उपस्थिति दर्ज करवा सकेंगे जिनकी आंखें झपकती हैं। इसका मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि मनरेगा कार्यस्थल पर केवल वास्तविक श्रमिकों की उपस्थिति दर्ज की जाए। आइए, इस नए सिस्टम के बारे में विस्तार से जानते हैं।
राजस्थान में मनरेगा श्रमिकों के लिए नया मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम
राजस्थान सरकार ने मनरेगा योजना के तहत काम करने वाले श्रमिकों के लिए एक नया मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम (एमएमएस) लागू किया है। इस सिस्टम के अनुसार, उपस्थिति केवल तब ही दर्ज की जाएगी जब श्रमिक की आँखों की पलकें झपकेंगी। अगर किसी श्रमिक की आंखों की पलकें नहीं झपकती हैं या यदि फोटो में गड़बड़ी पाई जाती है, तो उसका उपस्थिति कॉलम में नाम दर्ज नहीं होगा।
क्या है इस नए सिस्टम की खासियत?
इस नए अपडेटेड एमएमएस सिस्टम में कई महत्वपूर्ण फीचर्स शामिल किए गए हैं जो न केवल फर्जीवाड़े को रोकेंगे, बल्कि कार्य में पारदर्शिता और प्रामाणिकता भी सुनिश्चित करेंगे। इसके कुछ प्रमुख पहलू निम्नलिखित हैं:
1. आई ब्लिंक अनिवार्य
नए सिस्टम में फोटो क्लिक करते समय श्रमिकों की आंखों की पलकें झपकना अनिवार्य कर दिया गया है। अगर किसी श्रमिक की आँखें नहीं झपकती हैं, तो उनकी उपस्थिति का फोटो अपलोड नहीं होगा। इससे फर्जीवाड़े की संभावना लगभग खत्म हो जाएगी।
2. फोटो अपलोडिंग में हेड काउंट
जिन श्रमिकों की उपस्थिति ली जा रही होगी, उनके सिर की गिनती एप के माध्यम से की जाएगी। अगर एप में काउंट किए गए सिर और फोटो में दर्ज उपस्थिति में कोई फर्क पाया जाता है, तो फोटो सेव नहीं होगी। इससे मेट द्वारा की गई किसी भी गड़बड़ी को तुरंत पकड़ा जा सकेगा।
3. एवजी मेट की रोकथाम
मनरेगा कार्यस्थल पर पहले कई स्थानों पर ‘एवजी मेट’ द्वारा हाजिरी ली जाती थी। लेकिन अब नए सिस्टम के तहत ‘एवजी मेट’ न तो हाजिरी ले सकेंगे, न ही किसी दूसरे काम में गड़बड़ी कर पाएंगे। यह कदम मनरेगा योजना के तहत पारदर्शिता बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है।
4. जीओ टैग की छूट
पिछले समय में उपस्थिति के लिए जीओ टैग की दूरी 10 मीटर तक सीमित थी। अब इसे बढ़ाकर 500 मीटर कर दिया गया है। यह विशेष रूप से सड़क निर्माण जैसे कार्यों के लिए लाभकारी होगा, जिसमें कार्य स्थल पर दूरी का कोई निर्धारित पैमाना नहीं होता।
ई-माप पुस्तिका का जल्द ही होगा कार्यान्वयन
राजस्थान सरकार अगले पखवाड़े से माप पुस्तिका को ऑनलाइन करने का भी इरादा रखती है। इसे ई-माप पुस्तिका के रूप में लागू किया जाएगा, जिससे काम की पारदर्शिता बनी रहेगी। इसके साथ ही मनरेगा कार्यों में भ्रष्टाचार को भी रोका जा सकेगा। ई-माप पुस्तिका का उद्देश्य मस्टर रोल की तरह कार्यों को ऑनलाइन दर्ज करना है।
यह प्रणाली उड़ीसा, कर्नाटक, और त्रिपुरा जैसे अन्य राज्यों के समान होगी, जो पहले ही अपनी माप पुस्तिका को ऑनलाइन कर चुके हैं। राजस्थान सरकार का यह कदम भ्रष्टाचार की रोकथाम में सहायक साबित होगा।
फर्जीवाड़ा होगा कम, पारदर्शिता होगी अधिक
राजस्थान सरकार का यह निर्णय मनरेगा कार्यों में पारदर्शिता बढ़ाने और फर्जीवाड़े को खत्म करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। एमएमएस एप और ई-माप पुस्तिका के लागू होने से न केवल श्रमिकों का सही तरीके से रजिस्ट्रेशन होगा, बल्कि उनके काम की पारदर्शिता भी सुनिश्चित होगी।
इसके अतिरिक्त, इस सिस्टम से यह सुनिश्चित होगा कि मेट द्वारा कोई अनियमितता न हो और श्रमिकों के नाम पर कोई गलत काम न किया जाए। यह कदम राजस्थान के मनरेगा कार्यों को और अधिक प्रभावी, पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त बनाने में मदद करेगा।
निष्कर्ष
राजस्थान सरकार द्वारा मनरेगा योजना में लागू किए गए नए मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम और ई-माप पुस्तिका से मनरेगा में होने वाले फर्जीवाड़े को कड़ी चोट लगेगी। यह कदम पारदर्शिता, कार्यस्थल पर अनुशासन और श्रमिकों की वास्तविक उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है। अब मनरेगा कार्यों में पारदर्शिता और भ्रष्टाचार पर नियंत्रण के नए युग की शुरुआत होने जा रही है, जो न केवल श्रमिकों के हित में होगा, बल्कि राज्य सरकार की योजनाओं को भी और अधिक प्रभावी बनाएगा।